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'केंद्र से बातचीत तभी होगी जब पंजाब सरकार नहीं होगी...', किसान नेता दल्लेवाल बोले- लड़ाई अभी अधूरी है

  
  
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  संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) ने साफ कर दिया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर केंद्र सरकार से बातचीत तभी होगी, जब पंजाब सरकार के मंत्री और अधिकारी इसमें शामिल नहीं होंगे। एसकेएम नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत-पाक युद्ध के कारण बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई। अब जल्द ही बातचीत के लिए केंद्र सरकार को नया पत्र लिखा जाएगा। इससे पहले 4 मई को जब एसकेएम ने पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था, तब कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी। उन्होंने अपील की थी कि देश में संघीय ढांचा है और इसमें राज्य सरकारों की अहम भूमिका है, इसलिए आप पुनर्विचार करें और हमें इसके बारे में बताएं ताकि हम नई तारीख दे सकें। दल्लेवाल ने यह भी कहा कि एमएसपी गारंटी कानून की लड़ाई अभी अधूरी है, इसे जीतने के लिए संघर्ष जारी रहेगा। इस संदर्भ में 5 जुलाई को तमिलनाडु के कोयंबटूर में विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। शंभू, खनौरी और रतनपुरा मोर्चों पर किसानों पर दर्ज मामलों के नोटिस भेजे जा रहे हैं। अगर हरियाणा सरकार इन मामलों को वापस नहीं लेती है तो 6 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली एसकेएम की राष्ट्रीय बैठक में बड़े कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग योजना किसानों की जमीन छीनने की साजिश है। खनौरी-शंभू बॉर्डर आंदोलन को धोखे से खत्म किया गया दल्लेवाल ने कहा कि पंजाब सरकार ने खनौरी और शंभू बॉर्डर आंदोलन को धोखे से खत्म करने की कोशिश की है, जिससे किसानों को नुकसान हुआ है। 13 फरवरी 2024 से 19 मार्च 2025 तक खनौरी मोर्चे को जनता से 34,32,567 रुपये की आर्थिक मदद मिली, जबकि 37,65,539 रुपये खर्च हुए। 21 फरवरी 2024 को पुलिस द्वारा किसानों के ट्रैक्टरों में तोड़फोड़ की गई, जिसकी मरम्मत पर 8,98,654 रुपए खर्च हुए।
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