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66 प्रतिशत पंजाबियों ने अमेरिका में शरण मांगी, पांच साल में दोगुनी हुई संख्या

  
  
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  अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे लोगों पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कार्रवाई जारी है। इस बीच, जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ताओं द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला है कि हाल के वर्षों में यहां अवैध प्रवासियों में हिंदी बोलने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसमें यह भी कहा गया है कि 2021 से 2022 तक भारतीय नागरिकों द्वारा दायर सभी शरण याचिकाओं में से लगभग 66 प्रतिशत पंजाबियों द्वारा दायर की गईं। एक समय में, अवैध भारतीय प्रवासियों में हिन्दी भाषी लोगों की संख्या 14 प्रतिशत थी। हालाँकि, 2017 और 2022 के बीच यह दोगुना होकर 30 प्रतिशत हो गयी। यह अध्ययन 10 फरवरी को जारी किया गया। प्यू रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में लगभग 675,000 अवैध भारतीय अप्रवासी हैं। अमेरिका में भारतीयों की कुल संख्या 5.1 मिलियन है। यह भारतीय प्रवासियों के बीच बढ़ती विविधता को दर्शाता है, क्योंकि हिंदी भाषी क्षेत्रों से अधिक लोग अब अमेरिका में शरण मांग रहे हैं। अन्य भाषा समूह भी पीछे नहीं हैं। कुल शरण मामलों में अंग्रेजी बोलने वालों का हिस्सा लगभग 8 प्रतिशत था, जबकि गुजराती बोलने वालों का हिस्सा 7 प्रतिशत था। इन भारतीय भाषा समूहों द्वारा सुनी गई याचिकाओं की संख्या भी अन्य भाषा समूहों की तुलना में काफी अधिक है। पंजाबी भी स्वीकृति पाने वालों में सबसे आगे आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में अमेरिका में शरण चाहने वाले भारतीयों की संख्या में 470 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2020 में भारतीयों द्वारा शरण के दावों की संख्या 6,000 थी, जो 2023 में बढ़कर 51,000 से अधिक हो जाएगी। यह आप्रवासियों की संख्या में आठ गुना वृद्धि है। अमेरिकी आव्रजन न्यायाधीशों ने पंजाबी भाषियों से संबंधित 63 प्रतिशत मामलों और हिन्दी भाषियों से संबंधित 58 प्रतिशत मामलों को मंजूरी दी, लेकिन गुजराती भाषियों द्वारा दायर केवल 25 प्रतिशत मामलों को ही मंजूरी दी गई।
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