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ट्रंप प्रशासन की मनमानी का भारत ने दिया ईंट से जवाब, रूस-चीन के साथ बनाया नया 'मोर्चा'

  रणनीतिक साझेदार होने के बावजूद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी सरकार के कुछ सहयोगी जिस तरह से भारत के साथ संबंधों पर टिप्पणी कर रहे हैं, भारत ने उन्हें बेहद स्पष्ट कूटनीतिक जवाब दिया है। भारत ने संकेत दिया है कि चीन और रूस के साथ त्रिपक्षीय सहयोग वार्ता, जो काफी समय से स्थगित थी, फिर से शुरू हो सकती है। यह संकेत गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिया। वह भी तब, जब दो दिन पहले ही विदेश मंत्री जयशंकर चीन में विदेश मंत्री, उपराष्ट्रपति, वरिष्ठ सीपीसी अधिकारियों और राष्ट्रपति से अलग-अलग मुलाकात कर चुके थे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने रूस, भारत और चीन (आरआईसी) के बीच त्रिपक्षीय वार्ता की संभावना के बारे में कहा कि यह व्यवस्था तीनों देशों के बीच आपसी सद्भावना बढ़ाने, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत करने के लिए है। तीनों देश आपसी विचार-विमर्श के बाद अगली बैठक पर निर्णय लेंगे।

चीन, भारत और रूस आरआईसी सहयोग पर चर्चा के लिए तैयार

जायसवाल के बयान के तुरंत बाद, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि तीनों देशों के बीच सहयोग से न केवल इन तीनों देशों को मदद मिलेगी, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर शांति, सहयोग, स्थिरता और विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। चीन, भारत और रूस के साथ आरआईसी सहयोग पर बातचीत के लिए तैयार है।

गौरतलब है कि कुछ हफ़्ते पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि उनका देश चीन और भारत के साथ त्रिपक्षीय वार्ता फिर से शुरू करने को लेकर गंभीर है।

इन तीनों देशों ने पिछली सदी के आखिरी दशक में सोवियत संघ के पतन के बाद आपसी सहयोग बढ़ाकर दुनिया को बहुध्रुवीय बनाने की सोची थी। इसी व्यवस्था के तहत तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की आखिरी बैठक साल 2021 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई थी। लेकिन चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण भारत हाल के वर्षों में इसे ज़्यादा महत्व नहीं दे रहा है।
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